Some of the masterpiece couplets of Gulzar which I find truly thoughtful are
- ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में… एक पुराना ख़त खोला अनजाने में..
- रात भर बातें करते हैं तारे… रात काटे कोई किधर तन्हा
- रात चुपचाप दबे पांव चली जाती है .. रात ख़ामोश है रोती नहीं, हंसती भी नहीं
- वो उदास उदास इक शाम थी,एक चेहरा था इक चिराग़ था…. और कुछ नहीं था ज़मीन पर,इक आसमां का ग़ुबार था
- तुम्हारे ख्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं… सजाएं भेज दो ,हमने खताएं भेजी हैं
- आदतन तुमने कर दिए वादे….आदतन हमने ऐ'तिबार किया
- सहर न आई कई बार नींद से जागे… थी रात रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले
- कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़… किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे